केला फसल के ये हैं तीन बड़े दुश्मन, इनको समय रहते करें काबू, वरना...
Banana Farming: केले की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है. केले की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है.
Banana Farming: देश में केले की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसकी खेती से किसानों को काफी फायदा होता है. यह एक नकदी फसल है. इसके बाजार में बेहतर भाव मिल जाते हैं. इसकी बिक्री साल के पूरे 12 महीने होती है. ऐसे में केले की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है. केले की खेती में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इससे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है.
लेकिन केले की बंपर उत्पादन के लिए किसानों को इसके तीन बड़े दुश्मन पर काबू पाना जरूरी है. केला फसल के ये दुश्मन पीला सिगाटोका रोग, पनामा विल्ट रोग और काला सिगाटोका रोग हैं. ये केला के पत्तों में लगते हैं और केले के पौधों को नष्ट कर देते हैं. इसका असर केला के उत्पादन पर पड़ता है. इसलिए समय पर इसकी पहचान कर, इसका उचति प्रबंधन करना जरूरी है. आइए जानते हैं केला फसल में लगने वाले तीन बड़े रोग और उनकी पहचान और प्रबंधन के उपाय.
1. पीला सिगोटका रोग की पहचान और प्रबंधन
केला फसल में पीला सिगाटोका रोग का प्रभाव देखा जाता है, जो एक फफूंदजनित रोग है. इस रोग के कारण केले के नए पत्ते की ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाइन के रूप में दिखता है और बाद में धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं, जिसका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
प्रबंधन
पीला सिगाटोका के प्रबंधन के लिए प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं. खेत को खरपतवार से मुक्त रखें. खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें और 1 किलो ट्राईकोडरमा विरिड को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें.
ये भी पढ़ें- Success Story: बाढ़ में फसल हो जाती थी बर्बाद, फिर किसान ने इस तरकीब से कमा लिया ₹1 लाख का मुनाफा
2. पनामा विल्ट रोग की पहचान और प्रबंधन
केला फसल में पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जाता है, जो एक फफूंदजनित रोग है. अचानक पूरे पौधे का सूखना या नीचे के हिस्से की पत्ती का सूखना इस रोग का प्रमुख लक्षण है. पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती है, जो बाद में मुरझाकर सूख जाती है. मूल पर्णवृत और तने के अंदर से सड़ी मछली की दुर्गन्ध आती है.
प्रबंधन
पनामा विल्ट रोग के प्रबंधन के लिए सकर को 30 मिनट तक कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यू, 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में डुबाने के बाद रोपनी करें. कार्बेन्डाजिम 50% घु,चू, 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. केले की पत्तियां चिकनी होती है. इसलिए घोल में स्टीकर मिला देना फायदेमंद होगा.
ये भी पढ़ें- Success Story: 2.5 लाख रुपये लोन लेकर शुरू की बकरी पालन, ट्रेनिंग के बाद बढ़ी कमाई
3. काला सिगाटोका रोग की पहचान और प्रबंधन
केला फसल में काला सिगाटोका रोग का प्रभाव देखा जाता है, जो एक फफूंदजनित रोग है. इस रोग के कारण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा, धारीदार लाइन के रूप में नजर आता है. ये बारिश के दिनों में अधिक तापमान होने के कारण फैलते हैं. इनके प्रभाव से केले परिपक्व होने से पहले ही पक जाते हैं. जिसके कारण किसानों को उचित फायदा नहीं मिल पाता है.
प्रबंधन
काला सिगाटोका रोग के प्रबंधन के लिए रासायनिक फफूंदनाशी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% घु.चू. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
01:05 PM IST